॥ॐ श्रीसद्गुरवे नमः॥
बोध-कथाएँ - 3. स्वर्ग और नरक
जानेवालों की पहचान
(“महर्षि मेँहीँ
की बोध-कथाएँ” नामक पुस्तक से, सम्पादक : श्रद्धेय छोटे
लाल बाबा)
किसी नगर में एक वेश्या रहती थी। उस नगर के एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर अपनी
नौकरानी से वह बोली, “शहर में जाकर देख आओ कि उस मृत प्राणी को स्वर्ग हुआ या नरक?”
एक साधु उसी
होकर उस नगर में प्रवेश कर रहा था। वेश्या के मुख से स्वर्ग-नरक की चर्चा सुनकर वह
स्तम्भित हो वहाँ खड़ा हो गया।
थोड़ी देर के बाद नौकरानी शहर से लौटकर आयी और बोली, “मालकिन्! उसको स्वर्ग हो गया।” एक वेश्या की
नौकरानी के मुख से स्वर्ग-नरक-संबंधी इस प्रकार की परीक्षित बातें सुनकर साधु के
आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
उसने वेश्या के पास जाकर पूछा, “ऐसी कौन-सी विद्या तुम्हारे पास है, जिसके सहारे
तुम्हारी नौकरानी भी जान पाती है कि अमुक व्यक्ति को स्वर्ग हुआ या नरक?"
वेश्या बोली, “साधु बाबा! आप यह बात नहीं जानते हैं! जिनकी मृत्यु से बहुत
लोग दुःखी हों, जिनकी लोग प्रशंसा करते हों और कहते हों कि वे बहुत अच्छे
लोग थे, तो जानिये कि उनको स्वर्ग हुआ और जिसकी मृत्यु होने पर बहुत-से लोग उसकी निंदा
करते हों अथवा कहते हों कि भले ही वह मर गया, बड़ा दुष्ट था, तो जानिये कि
उसको नरक हुआ।
(शान्ति-सन्देश, मार्च-अंक, सन् 1966 ईस्वी)
श्री सद्गुरु महाराज की जय
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें