मंगलवार, 6 नवंबर 2018

बोध-कथाएँ - 1. साधना में धैर्य और प्रेम चाहिए || महर्षि मेँहीँ की बोध-कथाएँ” नामक पुस्तक से, सम्पादक : श्रद्धेय छोटे लाल बाबा


॥ॐ श्रीसद्गुरवे नमः॥

बोध-कथाएँ - 1. साधना में धैर्य और प्रेम चाहिए

(“महर्षि मेँहीँ की बोध-कथाएँनामक पुस्तक से, सम्पादक : श्रद्धेय छोटे लाल बाबा)
एक लघु कथा है। एक राजा के मन में विरक्ति हो गयी। वे एक इमली गाछ के नीचे बैठकर तप करने लगे। एक दूसरा आदमी था, जो अपने परिवार से झगड़ा करके घर से निकल भागा और राजा की नकल में एक अरण्ड पेड़ के नीचे बैठकर तप करने लगा। भगवान् की ओर से राजा के लिए उत्तम भोजन और उस अरण्ड गाछ के नीचे बैठनेवाले के लिए मडुए की रोटी भेजी जाती थी।
संयोग से एक दिन नारद मुनि उसी होकर जा रहे थे। राजा ने नारदजी से पूछा, “आप कहाँ जा रहे हैं?” नारदजी ने कहा, “मैं विष्णुलोक जा रहा हूँ।राजा ने कहा, “महाराज! जब आप विष्णु भगवान् के यहाँ जा रहे हैं, तो भगवान् से आप पूछेंगे कि मुझे इस इमली गाछ के नीचे कितने दिनों तक तप करने पर उनके दर्शन होंगे?" नारदजी ने कहा, “अच्छा, ठीक है। मैं पूछ लूँगा।
नारदजी आगे बढ़े, तो अरण्ड गाछ के नीचे बैठनेवाले ने भी उनसे कहा कि महाराज! केवल राजा के लिए ही नहीं, मेरे लिए भी भगवान् से पूछेंगे कि मुझे इस अरण्ड गाछ के नीचे कितने दिनों तक तप करना होगा? नारदजी ने कहा कि बहुत अच्छा, तुम्हारे लिए भी मैं भगवान् से पूछ लूँगा।
नारदजी जब भगवान् विष्णु के पास पहुँचे, तो भगवान् विष्णु से उन्होंने पूछा कि भगवन्! एक राजा इमली गाछ के नीचे बैठकर तप कर रहे हैं और एक दूसरा आदमी अरण्ड गाछ के नीचे बैठकर तप कर रहा है। दोनों ने पूछा है कि उनलोगों को भगवान् के दर्शन के लिए कितने दिनों तक तप करना होगा?
भगवान् विष्णु ने कहा कि इमली वृक्ष में जितने पत्ते हैं, उतने वर्षों तक राजा को तप करने के बाद मेरे दर्शन होंगे और अरण्ड गाछ के नीचे जो बैठा है, अरण्ड वृक्ष में जितने पत्ते हैं, उतने वर्षों तक उसको भी तप करना होगा, तब मेरे दर्शन होंगे।
नारदजी जब भगवान् विष्णु के यहाँ से वापस लौटे, तो पहले अरण्ड वृक्षवाले से भेंट हुई। नारदजी ने उससे कहा कि इस अरण्ड वृक्ष में जितने पत्ते हैं, उतने वर्षों तक तुमको यहाँ तप करना होगा। ऐसा तुम्हारे लिए भगवान् विष्णु ने कहा है। वह आदमी जब अरण्ड गाछ के पत्तों को देखने लगा, तो बहुत-से पत्तों को देखकर घबड़ा गया और यह सोचकर चल दिया कि इतने वर्षों तक कौन तप करे! इससे तो घर का झगड़ा ही सही, घर ही में रहूँगा। वह अपने घर वापस हो गया।
जब नारदजी राजा के पास पहुँचे, तो राजा ने बड़ी आतुरता से उनसे पूछा कि महाराज! मेरे संबंध में भगवान् से जानकारी ली थी? नारदजी ने कहा कि हाँ, भगवान् विष्णु ने आपके लिए कहा कि इस इमली वृक्ष में जितने पत्ते हैं, उतने वर्षों तक आपको तप करना होगा, तब आपको भगवान् दर्शन देंगे।
यह सुनते ही राजा प्रेम में मग्न हो गये और नाचने लगे। राजा को खुशी थी कि भगवान् के कभी तो दर्शन होंगे! इतने में भगवान् विष्णु वहाँ पहुँच गये। नारदजी ने भगवान् से पूछा कि आपने तो हद कर दी। मुझसे तो आपने कहा था कि इमली वृक्ष में जितने पत्ते हैं, उतने वर्षों तक तप करने के बाद राजा को आपके दर्शन होंगे; लेकिन आप तो तुरंत ही आ गये।
भगवान् विष्णु ने कहा कि देखते हैं, राजा को कितना प्रेम है। इनके प्रेम के वशीभूत होकर ही मैं अभी तुरंत यहाँ चला आया। जिस समय आपको इन्होंने मुझसे पूछने के लिए कहा था, उस समय ऐसा प्रेम इनमें नहीं था।
हमलोगों को खुश होना चाहिए कि जैसे इमलीवाले का काम खत्म हुआ, उसी तरह हमलोगों का भी काम खत्म होगा। गुरु महाराज की दया से हमलोग भी जन्म-मरण के चक्र से जल्दी छूट जाएँगे।
(शान्ति-सन्देश, अप्रैल-अंक, सन् 1996 ईस्वी)
श्री सद्गुरु महाराज की जय








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