|| भजन न.५४ ||
निज तन में खोज सज्जन, बहार न खोजना |
अपने हि घट में हरि हैं, अपने में खोजना ||
१ ||
दोउ नैन नजर जोडि के, एक नोक बना के |
अन्तर में देख सुन-सुन, अन्तर में खोजना || २ ||
तिल द्वार तक के सीधे, सुरत को खैंच को |
अनहद धुनों को सुन-सुन, चढ़-चढ़ के खोजना || ३
||
बजती हैं पाँच नौबतें, सुनि एक-एक को |
प्रति एक पै चढ़ी जाय के, निज नाह खोजना || ४
||
पंचम बजै धुर घर से, जहाँ आप बिराजैं |
गुरु की कृपा से ‘मेँहीँ’, तहँ पहुँचि खोजना || ५ ||
https://www.youtube.com/watch?v=G3wNRPXyW-o&list=PLxihB-xXEgZJKwXmcn_3OxOkC1rztkgo1
https://youtu.be/FkFqQZdMXi8
~~~~~~~~~~~~~~~~पदावली
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