।।श्री सद्गुरवे नमः।।
प्रातः स्मरणीय अनन्त श्री विभूषित परमाराध्य संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की वाणी
लोग स्थूल सौन्दर्य में आसक्ति रखते हैं; किन्तु यदि सूक्ष्म के विन्दु रूप सौन्दर्य को प्राप्त करें,तो स्थूल सौन्दर्य स्वतः छूट जाएगा और वह जब कारण के दिव्य सौन्दर्य को प्राप्त करेगा, तो सूक्ष्म का सौन्दर्य भी छूट जाएगा। इस प्रकार क्रम-क्रम से वह रुप से अरूप में चला जाएगा,फिर परमात्मा को प्राप्त करेगा।